फूलों की खेती से हर साल ₹5 लाख तक प्रॉफिट
लेखक: Ajay | दिनांक: 2024-12-08
परिचय
अशोकनगर के 35 साल के किसान ने पारंपरिक खेती छोड़कर फूलों की खेती शुरू की, और अब चार बीघा जमीन में पांच लाख रुपये तक सालाना आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। इस सफलता को देखकर आसपास के गांवों के किसानों ने भी फूलों की खेती की ओर रुख किया है। लक्ष्मण कुशवाहा का कहना है कि दिवाली जैसे त्योहारों के दौरान फूलों की मांग बहुत बढ़ जाती है, जिससे अधिक मुनाफा होता है।
दिवाली और शादी सीजन में बंपर कमाई
फूलों की खेती अब गांवों में एक नई उम्मीद बनकर उभरी है। भौरा गांव के लक्ष्मण कुशवाहा बताते हैं कि पहले यह गांव सब्जी की खेती के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन अब यहां के किसान फूलों की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। लक्ष्मण की सफलता ने गांव के कई किसानों को फूलों की खेती की ओर प्रेरित किया है।
पारंपरिक खेती में कम हो रहा था मुनाफा
लक्ष्मण कुशवाहा बताते हैं, "मैंने 10वीं तक पढ़ाई की थी और जब पढ़ाई में मन नहीं लगा तो अपने पिता के साथ खेती में हाथ बटाने लगा। उस समय हम भी परंपरागत खेती करते थे, जैसे गेहूं, सोयाबीन, धान और सब्जियां। लेकिन मेहनत के मुकाबले मुनाफा कम था।"
फिर, 6-7 साल पहले उन्होंने सब्जी की खेती के साथ-साथ गेंदे के पौधे लगा दिए। इन फूलों को सब्जियों के साथ बेचने पर अच्छे दाम मिले और यह काम धीरे-धीरे बढ़ने लगा। फिर लक्ष्मण ने आधे बीघा में फूलों की खेती की शुरुआत की।
फूलों की खेती में नुकसान की संभावना कम
लक्ष्मण का कहना है कि फूलों की खेती में नुकसान की संभावना कम होती है। धीरे-धीरे मुनाफा बढ़ने पर उन्होंने अपनी खेती का क्षेत्र बढ़ा लिया। इस साल, उन्होंने चार बीघा में गेंदा, नारंगी और बिजली के फूलों की खेती की है और उनकी अनुमानित आमदनी 4.5 से 5 लाख रुपये तक हो सकती है।
'हर दिन 300 से 400 माला बनाकर बेचते हैं'
लक्ष्मण कहते हैं, "हर दिन 300 से 400 माला बनाकर बाजार में बेचते हैं। फूलों की कीमत ₹10 से ₹20 प्रति माला और ₹40 प्रति किलो रहती है। हमें इस काम में ज्यादा मेहनत नहीं लगती, परिवार के लोग ही फूलों की तुड़ाई करते हैं।"
फूलों के पौधे घर पर ही तैयार करते हैं
लक्ष्मण बताते हैं कि वह सालभर गेंदा, नारंगी और बिजली के फूलों की खेती करते हैं। इन फूलों के पौधों को वह या तो नर्सरी से खरीदते हैं, या खुद ही तैयार करते हैं। उज्जैन जिले की नर्सरी से वह अच्छे पौधे लाते हैं और उन्हें खेत में लगाते हैं।
एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 2 फीट
"हम पहले खेत तैयार करते हैं, फिर दो बार जुताई करते हैं और गोबर की देसी खाद डालते हैं। इसके बाद पौधे कतार में लगाते हैं। एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 2 फीट और एक कतार से दूसरी कतार की दूरी भी 2 फीट रखी जाती है। इससे पौधे बेहतर तरीके से फैलते हैं और फूलों की तुड़ाई भी आसानी से होती है।"
बारिश शुरू होते ही लगते हैं गेंदा फूल के पौधे
लक्ष्मण बताते हैं कि जून के आखिरी और जुलाई के शुरुआती दिनों में गेंदा फूल के पौधे लगाए जाते हैं, जो अगस्त के अंत में फूल देना शुरू कर देते हैं। सितंबर, अक्टूबर और नवंबर तक इन पौधों से फूलों की तुड़ाई की जाती है।
12 महीने रहती है फूलों की डिमांड
गांव और शहरों में फूलों की डिमांड हर महीने बनी रहती है, खासकर त्योहारों, मांगलिक कार्यों और शादियों के दौरान। फूलों की डिमांड दिवाली, शादी सीजन और अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर बढ़ जाती है।
फफूंदी रोग से बचाना जरूरी
गेंदा फूलों में फफूंदी का रोग कभी-कभी होता है, जो पौधों के पत्तों और तनों पर सफेद और काले रंग के धब्बे छोड़ सकता है। लक्ष्मण ने बताया कि इस रोग से फसल को बचाना जरूरी है, क्योंकि यह फूलों की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।
चार किस्मों से कर रहे लाखों की कमाई
लक्ष्मण कुशवाहा अपने खेतों में गेंदा फूल की चार प्रमुख किस्में उगाते हैं: पूसा संतरा, पूसा वासंती, नारंगी और बिजली। उनका मानना है कि इन्हीं किस्मों से उन्हें अच्छी उपज और बाजार में अच्छी खपत मिलती है, जो उन्हें अधिक मुनाफा दिलाती है।