मूंगफली की खेती में अधिक उत्पादन के लिए उन्नत तकनीकें
लेखक: डॉ. राम सिंह | दिनांक: 2024-12-09
मूंगफली तेल और प्रोटीन का समृद्ध स्रोत है। इसकी खेती से किसान बेहतर आय और मिट्टी की उर्वरता में सुधार कर सकते हैं। मूंगफली की फसल में अधिक उत्पादन और गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए उन्नत विधियों और प्रबंधन तकनीकों का पालन आवश्यक है।
1. फसल की तैयारी और बीज चयन
मूंगफली की खेती के लिए उपयुक्त बीज और मिट्टी की तैयारी का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।
- मिट्टी का प्रकार: बलुई दोमट मिट्टी मूंगफली की खेती के लिए सबसे उपयुक्त है।
- पीएच स्तर: मिट्टी का पीएच 6.5-7.5 के बीच होना चाहिए।
- बीज चयन:
- उच्च उपज देने वाली किस्में जैसे कि टीजी 37ए, टीजी 51, और आईसीजीएस 76 का उपयोग करें।
- स्वस्थ, रोग-मुक्त बीजों का चयन करें।
- बीज उपचार: बुवाई से पहले बीजों को ट्राइकोडर्मा या थीरम जैसे कवकनाशकों से उपचारित करें।
2. भूमि की तैयारी
- खेत को 2-3 बार गहरी जुताई करके समतल करें।
- गोबर की खाद या जैविक खाद 15-20 टन/हेक्टेयर डालें।
- जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
3. बुवाई का समय और विधि
- समय:
- खरीफ फसल: जून के अंत से जुलाई के मध्य तक।
- रबी फसल: नवंबर से दिसंबर के बीच।
- विधि:
- लाइन बुवाई विधि अपनाएं।
- कतार से कतार की दूरी 30-45 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेमी रखें।
4. उर्वरक प्रबंधन
मूंगफली में उर्वरक प्रबंधन सही तरीके से करने से उपज में वृद्धि होती है।
- नाइट्रोजन (N): 20-25 किग्रा/हेक्टेयर।
- फॉस्फोरस (P): 40-60 किग्रा/हेक्टेयर।
- पोटाश (K): 20-30 किग्रा/हेक्टेयर।
- कैल्शियम और सल्फर: फली के विकास और गुणवत्ता के लिए अनिवार्य हैं।
- उर्वरक को बुवाई के समय मिट्टी में मिलाएं।
5. सिंचाई प्रबंधन
- पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें।
- फूल आने और फलियों के विकास के समय सिंचाई करना आवश्यक है।
- पानी का जमाव न होने दें क्योंकि यह जड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है।
6. खरपतवार नियंत्रण
- खेत में समय-समय पर खरपतवार निकालें।
- प्री-इमर्जेंस और पोस्ट-इमर्जेंस खरपतवार नाशकों का उपयोग करें।
- मल्चिंग का प्रयोग करके खरपतवार को नियंत्रित करें।
7. रोग और कीट प्रबंधन
मूंगफली की फसल में सामान्यत: रोग और कीटों का प्रकोप होता है।
प्रमुख रोग:
- टिक्का रोग (Tikka Disease):
- रोगग्रस्त पत्तियों को हटाएं।
- मैन्कोज़ेब या कार्बेन्डाजिम का छिड़काव करें।
- कालर रॉट (Collar Rot):
- प्रभावित पौधों को हटा दें।
- ट्राइकोडर्मा का प्रयोग करें।
प्रमुख कीट:
- जड़ छेदक (Root Grub):
- नीम के तेल का उपयोग करें।
- क्लोरपायरीफॉस का छिड़काव करें।
- थ्रिप्स (Thrips):
- इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें।
8. फसल प्रबंधन
- फसल की निगरानी नियमित रूप से करें।
- पौधों को जरूरत के अनुसार उर्वरक और पानी दें।
- फूल आने के समय फली बनने की प्रक्रिया तेज करने के लिए माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का छिड़काव करें।
9. कटाई और भंडारण
- जब फसल पूरी तरह पक जाए और फलियां सूखी दिखें, तो कटाई करें।
- कटाई के बाद मूंगफली को अच्छी तरह सुखाएं।
- भंडारण के लिए ठंडी, सूखी, और हवादार जगह का उपयोग करें।
विशेष सलाह
- जैविक खेती अपनाने से उत्पादन में सुधार होता है और लागत कम होती है।
- मिट्टी की समय-समय पर जाँच कर उर्वरक की सही मात्रा का निर्धारण करें।
- आधुनिक उपकरणों और तकनीकों का उपयोग करें, जैसे कि मल्टीक्रॉप थ्रेशर।
इस मार्गदर्शिका का पालन करके किसान मूंगफली की फसल में बेहतर गुणवत्ता और अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।