जलवायु परिवर्तन और कृषि: किसानों के लिए रणनीतियाँ और समाधान

लेखक: डॉ. राम सिंह | दिनांक: 2024-12-09

1. जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव

जलवायु परिवर्तन का कृषि पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इस लेख में हम जानेंगे कि जलवायु परिवर्तन ने कृषि क्षेत्र को किस तरह प्रभावित किया है और इससे बचाव के लिए कौन-कौन सी रणनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं।

1.1 बढ़ता तापमान

जलवायु परिवर्तन का सबसे स्पष्ट प्रभाव बढ़ते तापमान के रूप में देखा जा रहा है। औसत वैश्विक तापमान बढ़ने से न केवल फसलें प्रभावित हो रही हैं, बल्कि इसकी वजह से कृषि की हर क्रिया— जैसे बुवाई, सिंचाई, कटाई, और भंडारण — पर भी असर पड़ रहा है। यदि तापमान बहुत अधिक बढ़ता है तो यह फसलों की वृद्धि में रुकावट डाल सकता है, जिससे उनकी उत्पादकता घट सकती है। विशेष रूप से गेहूँ, मक्का और चावल जैसी प्रमुख फसलें, जो ठंडे मौसम में अधिक उपज देती हैं, गर्मी के प्रभाव से बहुत अधिक प्रभावित हो रही हैं।

1.2 सूखा और जल संकट

जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक जलवायु के पैटर्न में बदलाव आ रहा है। कुछ स्थानों पर अत्यधिक वर्षा हो रही है, जबकि अन्य क्षेत्रों में सूखा पड़ रहा है। भारत के अधिकांश हिस्से विशेष रूप से जल संकट से जूझ रहे हैं। सूखा के कारण भूमि की उर्वरता घट रही है, और किसानों को पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण किसानों को लगातार बढ़ती जल संकट की स्थिति का सामना करना पड़ता है, जो उनकी कृषि की उत्पादन क्षमता को बाधित करता है।

1.3 बाढ़ और असमान वर्षा

भारत में कृषि का एक बड़ा हिस्सा मानसून पर निर्भर है, लेकिन जलवायु परिवर्तन ने मानसून के पैटर्न को भी बदल दिया है। बाढ़ और असमान वर्षा की घटनाएँ बढ़ रही हैं। अधिक वर्षा के कारण बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है, जो फसलों को नष्ट कर सकता है। इसके अतिरिक्त, बाढ़ से मिट्टी का कटाव होता है, जो भूमि की उर्वरता को और कम करता है। इससे किसानों को बहुत नुकसान होता है और फसल उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ता है।

2. जलवायु परिवर्तन के खिलाफ किसानों के लिए समाधान और रणनीतियाँ

2.1 जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियाँ

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए, किसानों को नई और उन्नत कृषि प्रौद्योगिकियों को अपनाना जरूरी है। कुछ ऐसी प्रौद्योगिकियाँ हैं, जो जलवायु परिवर्तन से बचाव में मदद कर सकती हैं और उत्पादन को बढ़ा सकती हैं।

2.1.1 स्मार्ट सिंचाई प्रणालियाँ

सिंचाई के पारंपरिक तरीकों में बहुत पानी की बर्बादी होती है, जो जल संकट को और बढ़ाती है। स्मार्ट सिंचाई प्रणालियाँ, जैसे ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर, किसानों को पानी की बचत करने में मदद कर सकती हैं। ड्रिप सिंचाई का प्रयोग करने से पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचता है, जिससे फसल को अधिक पानी मिलता है, लेकिन पानी की बर्बादी नहीं होती है। यह तकनीक सूखा प्रभावित क्षेत्रों में फसलों के लिए वरदान साबित हो सकती है।

2.1.2 जलवायु अनुकूल बीज

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचने के लिए किसानों को जलवायु अनुकूल बीजों का चयन करना चाहिए। ऐसे बीज, जो उच्च तापमान और सूखा सहन कर सकें, जलवायु परिवर्तन के साथ कृषि को स्थिर बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। किसानों को ऐसे बीजों का चयन करना चाहिए जो कम पानी में अधिक उत्पादक हो और जो प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर सकें।

2.1.3 जैविक खेती और हरित उर्वरक

रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट आई है। इससे मिट्टी का प्राकृतिक पोषण कम हो रहा है। इसलिए जैविक खेती और हरित उर्वरकों का उपयोग करके मिट्टी की सेहत को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। जैविक खेती, जिसमें रासायनिक उर्वरकों के बजाय प्राकृतिक उर्वरक का उपयोग किया जाता है, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से लड़ने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है। इसके अलावा, हरित उर्वरक से मिट्टी में पोषक तत्वों की आपूर्ति होती है, जो फसलों को बेहतर बनाने में मदद करती है।

2.2 जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि पैटर्न

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए, किसानों को अपनी खेती के पैटर्न को बदलने की आवश्यकता है। कुछ नए और अनुकूलित खेती के तरीके कृषि उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं।

2.2.1 बहुपरक कृषि (Agroforestry)

बहुपरक कृषि एक ऐसी तकनीक है, जिसमें किसान अपनी फसलों के साथ-साथ पेड़-पौधे भी उगाते हैं। यह तकनीक जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो सकती है। यह न केवल जलवायु के प्रभावों को कम करता है, बल्कि किसानों के लिए एक अतिरिक्त आय का स्रोत भी उत्पन्न करता है। इसके अलावा, पेड़ और पौधे भूमि की संरचना को बेहतर बनाते हैं, जिससे मिट्टी का कटाव और पानी की कमी कम होती है।

2.2.2 फसल चक्र और मिश्रित खेती

किसान जब एक ही फसल पर अत्यधिक निर्भर रहते हैं, तो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचना मुश्किल हो जाता है। इसलिए फसल चक्र का पालन करना और मिश्रित खेती अपनाना अधिक लाभकारी हो सकता है। फसल चक्र के माध्यम से किसान अपनी भूमि की उर्वरता बनाए रख सकते हैं और मौसम के अनुकूल फसलें उगा सकते हैं। मिश्रित खेती में, किसान विभिन्न प्रकार की फसलों को एक साथ उगाते हैं, जिससे एक प्रकार की फसल के नष्ट होने का जोखिम कम होता है।

2.3 जलवायु परिवर्तन के जोखिमों से बचाव के लिए बीमा योजनाएँ

भारत में किसानों के लिए कई बीमा योजनाएँ हैं, जो जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले नुकसान से बचाने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करना है।

2.3.1 प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) किसानों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है। इसके अंतर्गत, किसानों को प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, और तूफान के कारण फसल नुकसान के लिए बीमा किया जाता है। इस योजना के तहत किसान कम प्रीमियम पर बीमा कर सकते हैं, जो उन्हें वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है। इस योजना के माध्यम से किसानों को जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली क्षति से निपटने में मदद मिलती है।

2.3.2 राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NAIS)

राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NAIS) किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए बनाई गई है। इसके तहत, किसानों को फसल नुकसान के लिए मुआवजा दिया जाता है। यह योजना किसानों को जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले जोखिमों से बचाने में मदद करती है और फसल के उत्पादन को बढ़ावा देती है।

3. सरकार की योजनाएँ और पहलें

भारत सरकार जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए कई योजनाएँ चला रही है। इन योजनाओं के अंतर्गत किसानों को नई तकनीक, जलवायु अनुकूल फसलों, और बीमा सुविधाओं का लाभ मिल रहा है।

3.1 कृषि निवेश योजना

कृषि निवेश योजना के तहत, किसानों को नई तकनीकों, बीजों, और कृषि उपकरणों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचने के लिए बेहतर उपकरण और संसाधन उपलब्ध कराना है। इससे किसानों को बेहतर उत्पादन प्राप्त करने में मदद मिलती है और वे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से अधिक सुरक्षित रहते हैं।

3.2 जलवायु स्मार्ट कृषि कार्यक्रम

जलवायु स्मार्ट कृषि कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए प्रशिक्षित करना और उन्हें जलवायु अनुकूल कृषि प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित करना है। इस कार्यक्रम के तहत, किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाता है और उन्हें जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाता है।

4. निष्कर्ष

जलवायु परिवर्तन ने कृषि क्षेत्र को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। इसके कारण कृषि उत्पादन में गिरावट आ रही है और किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए कई उपाय उपलब्ध हैं। इन उपायों को अपनाकर, हम कृषि क्षेत्र को सुरक्षित रख सकते हैं और किसानों को बेहतर जीवन जीने का अवसर प्रदान कर सकते हैं।

जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए न केवल सरकार और संस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है, बल्कि किसानों को भी अपनी रणनीतियाँ बदलनी होंगी और नई तकनीकों को अपनाना होगा। यही रास्ता है, जो भविष्य में कृषि को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने में मदद करेगा।